अंतरिम सरकार के प्रमुख नहीं चाहते बांग्लादेश में चुनाव, बना रहे बहाने…
अंतरिम सरकार के प्रमुख नहीं चाहते बांग्लादेश में चुनाव, बना रहे बहाने…
-पश्चिम को हर हाल में चाहिए यूनुस, क्या अमेरिका का ऑपरेशन म्यांमार शुरू

ढाका, । बांग्लादेश में महीनों हिंसा के बाद और अब छात्रों द्वारा नई पार्टी के गठन के बाद बांग्लादेश की अंतरित सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस चुनाव कराने से डर रहे हैं और वह बहाने बना रहे हैं, जिससे चुनाव ना हो। मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व में बांग्लादेश में इस्टॉल की गई अंतरिम सरकारी की वैधता कभी भी नहीं रही, लेकिन शायद उन्हें ये लग रहा है कि किसी ने देश को उनके नाम पर लिख दिया है। बांग्लादेश में बने अस्थाई ढांचे के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भले ही 85 साल के हैं, लेकिन वे चालाक और चतुर हैं।
हैरान नहीं होना चाहिए कि जोर्ज सोरोस के नेतृत्व वाले अमेरिकी इको-सिस्टम ने उन्हें क्यों चुना। हैरानी की बात ये है कि मोहम्मद यूनुस को रिमोट कंट्रोल से चलाने वाले उनके अमेरिकी आका बार बार लोकतंत्र की बात करते हैं, दूसरे देशों में लोकतंत्र को लेकर ज्ञान बांटते हैं, लेकिन अगर किसी देश का लोकतंत्र सशक्त हो, तो उसे तोड़ने के लिए हर हद पार करते हैं। जब इस अस्थायी प्रशासन ने बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में कार्यभार संभाला था, तब जनता से वादा किया गया था कि 90 दिनों के अंदर देश में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराएंगे, लेकिन अब, मुहम्मद यूनुस खुद कह रहे हैं चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में होंगे।
लिहाजा बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बेगम खालिदा जिया दी बीएनपी ने देश में प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) समेत कई विपक्षी दलों ने चुनाव में देरी को लोकतंत्र से छल बताया है। वे मानते हैं कि सत्ता में बने रहने के लिए मोहम्मद यूनुस ने बहाने बनाने शुरू कर दिए हैं। मोहम्मद यूनुस इस देरी का फायदा अपनी प्रशासनिक स्थिति को मजबूत करने में इस्तेमाल कर रहे हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट इस प्रवृत्ति को लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत के रूप में देख रहे हैं, जहां अंतरिम संरचना को स्थायी स्वरूप देने की कोशिश की जा रही है।
शेख हसीना के कार्यकाल में अमेरिका की ओर से बांग्लादेश में चुनाव को लेकर हर दिन बयान आते थे, शेख हसीना को तानाशाह बताया जाता था, उनके शासन में निष्पक्ष चुनाव को सिर्फ एक सपना बताया जाता था, लेकिन अब कोई भी अमेरिकी सार्वजनिक अधिकारी या यहां तक कि ढाका में देश के प्रभारी राजदूत भी इस बात पर कोई बयान नहीं दे रहे हैं कि बांग्लादेश में शीघ्र ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं। तो क्या अमेरिका नहीं चाहता कि बांग्लादेश में एक लोकप्रिय जनादेश और लोगों की सहमति वाली सरकार का निर्माण हो? क्या सेना के समर्थन से चल रही इस अस्थाई सरकार का डिजाइन पश्चिमी देशों के लिए सही है?
वहीं सवाल ये उठने लगे हैं कि क्या अमेरिका ने म्यांमार में एयरबेस बनाने की तैयारी शुरू कर दी है? क्योंकि इतिहास गवाह है कि जिन दिन देशों में अमेरिकी सेना रही है या अमेरिका समर्थिक सरकार रही है, उसका एक भयानक रिकॉर्ड रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक यूएस आर्मी पैसिफिक के एक शीर्ष जनरल लेफ्टिनेंट जनरल जोएल वोवेल की यात्रा के बाद कि बांग्लादेश की सेना, म्यांमार के रखाइन राज्य की सीमाओं पर किसी भी ऑपरेशन के लिए अपनी सेना को भेजने के लिए तैयार हो गई है। अमेरिका का ये गुप्त ऑपरेशन कपटी बर्मा अधिनियम से जुड़ा हुआ है, जिसके तहत रखाइन राज्य से आगे बढ़कर म्यांमार के अन्य हिस्सों में भी जा सकता है। ये वही जगह है जहां पश्चिमी देशों को बांग्लादेश की सेना की सबसे ज्यादा जरूरत है।
प्रधानमंत्री रहते हुए शेख हसीना आरोप लगा चुकी हैं बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर अमेरिका ईसाई देश बनाना चाहता है, लिहाजा सवाल ये हैं कि क्या अमेरिका का ऑपरेशन म्यांमार शुरू हो चुका है। लिहाजा पश्चिम को हर हाल में बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस चाहिए। और यही वजह है कि अगर कोई सोच रहा है कि दिसंबर 2025-जून 2026 की समयसीमा में बांग्लादेश में चुनाव होंगे तो ये भूल होगी। मोहम्मद यूनुस के गुर्गो ने उनके पक्ष में सोशल मीडिया कैम्पेन चलाना शुरू कर दिया है, जिसमें उन्हें बांग्लादेश का भाग्य और एकमात्र संरक्षक बताया जा रहा है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट